लगाऊँगा मै भी तिलक, भले
लगाऊँगा मै भी तिलक, भले साम्प्रदायिक कहलाऊंगा | मार के मिटुँगा अपनी माटी के लिए मै भी ... कम से कम भगत सा तो कहलाऊँगा | गांधी को क्यों मै पुजूँ... क्यों न मैं सुभाष बनूँ ? हिंद का नाम रखा उपर... क्यों न मैं ऐसा चरित्र बनूँ ? जन्म लिया है शेर बनके अपना धर्म निभाऊँगा ... नहीं जानता बाबरी कोई ... बस्स ! अपना मंदिर बनाऊँगा !
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