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सिकंदर ने भारत पर आक्रमण कर

by hinduparivar.org

सिकंदर ने भारत पर आक्रमण कर दिया | पुरू का सामना करनेसे पूर्व कई छोटे -बड़े राज्यों से उसे युद्ध करना पडं गया। एक छोटा - सा राज्य मार्ग में पड़ा, उसके राजा के पास बहुत थोड़ी - सी सेना थी | तब भी वह सिकंदर से युद्ध करने रणक्षेत्र में कूद पड़ा | वही हुआ, जिसका भय था, राजा युद्ध हार गया | विजय के पश्चात राजा को सपरिवार कुलगुरू के साथ सिकंदर के समक्ष लाया गया |

सिकंदर ने क्रोध में कुलगुरू से कहा - "मुझे बताया गया है कि तुमने राजा को सीख दी कि वह युद्ध करे | जब पराजय निश्चित थी, तो ऐसी मूर्खतापूर्ण शिक्षा किस काम की" कुलगुरू ने उत्तर दिया - "सिकंदर ! निश्चित तो मृत्यु भी है, तो क्या मनुष्य जीना भी छोड़ दे | अरे ! मैंने राजा को यही सिखाया कि जियो भी सम्मानपूर्वक और मरो भी सम्मानपूर्वक | मुझे गर्व है कि राजा हारा जरूर, पर अपने सम्मान की रक्षा करते हुए | मनुष्य के साथ जय-पराजय नहीं, गौरव व सम्मान जाता है |" सिकंदर को तब ही अनुभव हो गया कि भारतवासी किसी और मिट्टी के बने हैं |
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सिकंदर ने भारत पर आक्रमण कर दिया | पुरू का सामना करनेसे पूर्व कई छोटे -बड़े राज्यों से उसे युद्ध करना पडं गया। एक छोटा - सा राज्य मार्ग में पड़ा, उसके राजा के पास बहुत थोड़ी - सी सेना थी | तब भी वह सिकंदर से युद्ध करने रणक्षेत्र में कूद पड़ा | वही हुआ, जिसका भय था, राजा युद्ध हार गया | विजय के पश्चात राजा को सपरिवार कुलगुरू के साथ सिकंदर के समक्ष लाया गया | सिकंदर ने क्रोध में कुलगुरू से कहा - "मुझे बताया गया है कि तुमने राजा को सीख दी कि वह युद्ध करे | जब पराजय निश्चित थी, तो ऐसी मूर्खतापूर्ण शिक्षा किस काम की" कुलगुरू ने उत्तर दिया - "सिकंदर ! निश्चित तो मृत्यु भी है, तो क्या मनुष्य जीना भी छोड़ दे | अरे ! मैंने राजा को यही सिखाया कि जियो भी सम्मानपूर्वक और मरो भी सम्मानपूर्वक | मुझे गर्व है कि राजा हारा जरूर, पर अपने सम्मान की रक्षा करते हुए | मनुष्य के साथ जय-पराजय नहीं, गौरव व सम्मान जाता है |" सिकंदर को तब ही अनुभव हो गया कि भारतवासी किसी और मिट्टी के बने हैं | ·

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